Amitabh Bachchan की बिगड़ी तबीयत! मुंबई की कोकिलाबेन अस्पताल में हुए एंजियोप्लास्टी

Amitabh Bachchan : महानायक अमिताभ बच्चन 81 साल के हैं और इस उम्र में उन्होंने एंजियोप्लास्टी सर्जरी कराई है। एंजियोप्लास्टी सर्जरी तब कराई जाती है जब हार्ट की आर्टरीज में गंदा कोलेस्ट्रॉल या खून के जमने के कारण ब्लॉकेज होने लगता है। इस ब्लॉकेज के कारण आर्टरीज से हार्ट को खून की सप्लाई कम होने लगती है।
इससे अचानक हार्ट अटैक भी आ सकता है। इसलिए लोग पहले ही एंजियोप्लास्टी सर्जरी करा लेते हैं। अमिताभ बच्चन ने भी एहतियातन एंजियोप्लास्टी सर्जरी कराई होगी क्योंकि उन्हें हार्ट अटैक नहीं आया है। अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि यह एंजियोप्लास्टी है क्या और इसमें क्या किया जाता है।
इसके अलावा क्या अमिताभ बच्चन की उम्र में किसी की एंजियोप्लास्टी सफल हो सकती है। इन सारे सवालों का जवाब तलाशने के लिए हमने फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी से बात की।

क्या इतनी उम्र में एंजियोप्लास्टी हो सकती है
डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि एंजियोप्लास्टी का उम्र से कोई संबंध नहीं है। यह किसी भी उम्र में कराई जा सकती है। अमिताभ बच्चन को हार्ट अटैक नहीं आया है तो डॉक्टरों ने उन्हें एहतियातन एंजियोप्लास्टी सर्जरी कराने की सलाह दी होगी।
एंजियोप्लास्टी कराने के बाद हार्ट अटैक का खतरा बहुत हद तक टल जाता है। अब सवाल यह है कि किन स्थितियों में एंजियोप्लास्टी सर्जरी की जरूरत पड़ती है। डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि अगर मरीज को चलने पर दर्द हो, बैठे-बैठे दर्द होता है यानी एंजाइना हो रहा है तो एंजियोग्राफी कराई जाती है।

एंजियोग्राफी में अगर कुछ दिक्कत नजर आती है तो फिर और टेस्ट कराए जाते हैं। अगर टेस्ट में आर्टरीज में ब्लॉकेज 70 प्रतिशत से अधिक है तो एंजियोप्लास्टी सर्जरी कराई जाती है। इसके लिए इंतजार नहीं करना चाहिए। तुरंत एंजियोप्लास्टी सर्जरी करा लेनी चाहिए।
किन स्थितियों में कराई जाती है एंजियोप्लास्टी
अगर मरीज को लगातार सांस फूलने की समस्या हो, छाती में दर्द हो रहा हो, किसी काम को करने पर जल्दी थक जा रहा हो, जितना पहले चल पाते थे उतना नहीं चल पाते हो, उठते-बैठते छाती में दर्द हो रहा हो, तो इन स्थितियों में डॉक्टर इको टेस्ट, स्ट्रेस इको टेस्ट, टीएमटी, एंजियोग्राफी टेस्ट आदि के माध्यम से यह पता लगाते हैं कि आर्टरीज में कितने प्रतिशत तक ब्लॉकेज है। यदि ब्लॉकेज 70 प्रतिशत से ज्यादा है तो एंजियोप्लास्टी कराई जाती है।

एंजियोप्लास्टी में क्या होता है
इससे आर्टरीज में ब्लड फ्लो करने के लिए अधिक रास्ता मिल जाता है। लेकिन यह ज्यादा समय तक फ्लैट नहीं रह पाता है इसलिए अब इसमें स्टेंट लगाया जाता है। स्टेंट बहुत ही बारीक मेटल की मेस क्वॉल होती है जो चौड़ा किए गए रास्ते में फिट कर दिया जाता है ताकि ब्लड वैसल्स फिर से सिकुड़ न जाए।

जब स्टेंट लग जाता है तब इसके उपर टिशू का एक लेयर बन जाता है और 3 से 12 महीने में यह एकदम सामान्य हो जाता है। इसके बाद निर्बाध रूप से ब्लड का फ्लो होता रहता है। स्टेंट में दवा लिपी होती है जो किसी भी तरह की अनहोनी से रोकती है।
एंजियोप्लास्टी के बाद क्या सब कुछ सही रहता
डॉ. नित्यानंद राय कहते हैं कि एंजियोप्लास्टी के बाद सिर्फ 5 प्रतिशत लोगों में ही ब्लॉकेज की आशंका होती है। अगर मरीज नियमित रूप से डॉक्टर से सलाह लें तो वह सब कुछ पहले जैसा कर सकता है।
स्टेंट लगाने के बाद खून के जमने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए हम उसे खून को पतला करने की दवा देते हैं। इससे मरीज पूरी तरह सही रहता है।
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