भारत के वो सात मंदिर, जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी एक रेखा में हैं
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जो आज भी एक रहस्य बने हुए हैं। उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से लेकर रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तक सात ऐसे मंदिर हैं, जिनका निर्माण एक सीधी लाइन में किया गया है।
भारत मंदिरों की भूमि है, यहां कई ऐसे मंदिर हैं, जो आज भी एक रहस्य बने हुए हैं। हम आपको उन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। जो एक सीधी रेखा में बने हैं। उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से लेकर रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तक सात ऐसे मंदिर हैं, जिनका निर्माण एक लाइन में किया गया है। इनमें उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर, आंध्रप्रदेश का श्रीकालाहस्ती, तमिलनाडु का अरुणाचल मंदिर, तमिलनाडु का एकम्बरेश्वर मंदिर, तमिलनाडु का रामेश्वरम मंदिर, तमिलनाडु का तिलई नटराज मंदिर और तेलंगाना का कालेश्वरम मंदिर शामिल हैं।
अब विचार करने वाली बात ये है, कि जिस वक्त इन मंदिरों का निर्माण हुआ था। उस समय ना कोई टेक्नॉलोजी थी, ना मशीन फिर भी इन मंदिरों को एक सीध में कैसे बनाया गया ? ये आश्चर्य में डालने वाला है, लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि इस देश में ऐसे-ऐसे विद्वानों ने जन्म लिया है, जिन्होंने भारत को विश्व गुरु बनाया है। यहां ऐसे विद्वान रहे हैं, जिन्होंने बिना किसी साधन के ग्रहों-नक्षत्रों तक की स्थिति को एकदम सटीक बताया है।
अब आपको उन मंदिरों के बारे में बताते हैं, जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में हैं। केदारनाथ धाम ये मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित है। जो भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। इस मंदिर को लेकर कहावत है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था और यह केदारनाथधाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जो उत्तराखंड के चार धामों में शामिल है। कालेश्वरम मंदिर जो तेलंगाना के करीमनगर में स्थित है। यह मंदिर मुक्तेश्वर स्वामी को समर्पित है। इस मंदिर में दो शिवलिंग स्थापित हैं, जिन्हें शिव और यम का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर को कालेश्वर मुक्तेश्वर स्वामी देवस्थानम के नाम से भी पहचान जाता है।
श्री कालाहास्ती मंदिर यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर में स्थित है, इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां देवता की प्राण-प्रतिष्ठा वायु तत्व के लिए की हुई थी। यह मंदिर करीब 2 हजार साल पुराना बताया जाता है। जो दक्षिण कैलाश या दक्षिण काशी के नाम से भी विख्यात है। कांचीपुरम में बना एकम्बरेश्वर मंदिर जो तमिलनाडु में स्थित है, इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में पल्लव वंश के शासकों ने कराया था। उनके बाद 10वीं शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। इस मंदिर की प्रसिद्धि पूरे विश्व में विख्यात है। अन्नामलाईयार मंदिर जो तमिलनाडु के तिरुवनमलाई शहर में अरुणाचला पहाड़ी पर बना है। इसी वजह से इस मंदिर को अरुणाचलेश्वर मंदिर के नाम से भी पहचान मिली है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग अग्नितत्व का प्रतीक है।
थिल्लई नटराज मंदिर तमिलनाडु के चिदम्बरम में स्थित है। यहां शिव के नटराज स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। रामनाथ स्वामी मंदिर जो तमिलनाडु के रामेश्वरम में बना है। जिसे रामेश्वरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर को लेकर कहावत है कि जैसे उत्तर में काशी वैसे ही दक्षिण में रामेश्वरम का महत्व है।