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Isha Ambani इस छोटे से गांव की बहू हैं, ससुराल का पुश्‍तैनी घर कैसा?

Isha Ambani इस छोटे से गांव की बहू हैं, ससुराल का पुश्‍तैनी घर कैसा?

Isha Ambani : आनंद पीरामल, पीरामल ग्रुप के संस्थापक सेठ पीरामल के परपोते और अजय पीरामल के बेटे हैं। आनंद पीरामल मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनू के बागड़ गांव के रहने वाले हैं।

भारत के सबसे अमीर आदमी की बेटी ईशा अंबानी अब बनेंगी इस गांव की बहू! यह भी तय है कि शादी के बाद वे वहां जरूर जाएंगे, क्योंकि यह पीरामल परिवार का पुश्तैनी गांव है। बागड़ एक छोटा सा शहर है, लेकिन यहां की हवेलियां पूरी दुनिया में मशहूर हैं।

अंबानी और पीरामल परिवार की दोस्ती 2 दशक से भी ज्यादा पुरानी है, जो अब करीबी रिश्ते में तब्दील होती जा रही है। पीरामल का 67 हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबारी साम्राज्य 1920 में शुरू हुआ।

Isha Ambani
Isha Ambani

प्रथम विश्व युद्ध के बाद अजय पीरामल के दादा सेठ पीरामल चतुर्भुज मखरिया 50 रुपये लेकर राजस्थान के बागड़ नगर से बंबई आये।

बागड़ नगर में आज भी पीरामल ग्रुप की पुश्तैनी हवेली है . यहां की हवेलियां मशहूर हैं, लेकिन पीरामल हवेली की बात ही कुछ अलग है। अंदर की वास्तुकला बहुत भव्य है।

Isha Ambani का ससुराल 

ऐसा माना जाता है कि इस हवेली का उपयोग वर्तमान में एक होटल के रूप में किया जा रहा है, जहां पर्यटक आकर रुक सकते हैं। यह पुश्तैनी हवेली आज भी पीरामल ग्रुप के करीब है।

Isha Ambani
Isha Ambani

राजस्थान में बड़े-बड़े सेठ साहूकारों और धनाढ्य व्यक्तियों ने अपने निवास के लिए बड़ी-बड़ी हवेलियाँ बनवाईं। ये हवेलियाँ बहुमंजिला हैं। हवेलियाँ शानदार, स्थापत्य कला की विशिष्टता के साथ कलात्मक हैं।

झुंझुनू शहर की विशाल हवेलियाँ आज भी वास्तु-कला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। राजस्थान की हवेलियाँ अपनी बालकनियों, दरवाजों और खिड़कियों पर की गई बेहतरीन नक्काशी और उन पर उभरी हुई चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध हैं।

इतिहासकारों के अनुसार, इस क्षेत्र पर पंद्रहवीं सदी (1443) से अठारहवीं सदी के मध्य यानी 1750 तक शेखावत राजपूतों का शासन था। तब उसका राज्य सीकरवाटी और झुंझनुवाटी तक था।

Isha Ambani
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शेखावत राजपूतों द्वारा शासित क्षेत्र शेखावाटी कहलाता था, लेकिन एक ही भाषा, रहन-सहन, खान-पान, पहनावे और सामाजिक-सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के कारण झुंझुनू और चूरू भी शेखावाटी का हिस्सा थे।

इतिहासकार सुरजन सिंह शेखावत की पुस्तक ‘नवलगढ़ का संक्षिप्त इतिहास’ में बताया गया है कि राजपूत राव शेखा ने 1433 से 1488 तक यहां शासन किया था।

झुंझुनू में टिबड़ेवाला की हवेली और ईसरदास मोदी की हवेली अपनी मूर्तिकला की भव्यता के कारण अलग दिखती हैं। झुंझुनू में सागरमल लाडिया, रामदेव चौखानी और रामनाथ गोयनका की हवेली, झुंझुनू में सेठ लालचंद गोयनका, मुकुंदगढ़ में सेठ राधाकृष्ण और केशर देव कनोडिया की हवेली, चिड़ावा बागडिया की हवेली, डालमिया की हवेली, महनसर की सोने-चांदी की हवेली, श्रीमाघोपुर में पंसारी की हवेली, लक्ष्मणगढ़ केडिया और रा. पतली हवेली प्रसिद्ध है।

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