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ISRO : ISRO ने रच दिया इतिहास, लॉन्च किया XPoSAT सैटेलाइट, इसरो चीफ बोले- इस साल 12 मिशन लॉन्च करने का लक्ष्य

ISRO : ISRO ने रच दिया इतिहास, लॉन्च किया XPoSAT सैटेलाइट, इसरो चीफ बोले- इस साल 12 मिशन लॉन्च करने का लक्ष्य

ISRO : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने साल 2024 के पहले ही दिन इतिहास रच दिया है। ISRO ने साल के पहले दिन दुनिया का दूसरा और देश का पहला ऐसा सैटेलाइट लॉन्च कर दिया है, जो पल्सर, ब्लैक होल्स, आकाशगंगा और रेडिएशन आदि की स्टडी करेगा। इसका नाम एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) है। इसके साथ ही 10 अन्य पेलोड भी लॉन्च किए गए हैं। इस उपग्रह की लाइफ पांच साल की है।

ISRO के XPoSat का उद्देश्य

XPoSat का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन की स्टडी करना है। यह सैटेलाइट ब्रह्मांड के 50 सबसे ज्यादा चमकने वाले स्रोतों की स्टडी करेगा। जैसे- पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बाइनरी, एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई, नॉन-थर्मल सुपरनोवा।

XPoSat के टेलीस्कोप को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया है। यह टेलीस्कोप एक्स-रे की ध्रुवीकरण को मापने में सक्षम है। एक्स-रे की ध्रुवीकरण का अध्ययन करके हम अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन की प्रकृति के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

ISRO के XPoSat की लॉन्चिंग

XPoSat को PSLV-C58 रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। यह प्रक्षेपण पीएसएलवी रॉकेट श्रृंखला का 60वां प्रक्षेपण था। XPoSat को 650 किलोमीटर की ऊंचाई पर तैनात किया जाएगा।

XPoSat की सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन की स्टडी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह सैटेलाइट वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन की प्रकृति और प्रभाव के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा।

XPoSat की सफलता से भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। यह सैटेलाइट भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा।

XPoSat सैटेलाइट को PSLV-C58 रॉकेट से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9:10 बजे प्रक्षेपित किया गया। यह प्रक्षेपण पीएसएलवी रॉकेट श्रृंखला का 60वां प्रक्षेपण है। XPoSat सैटेलाइट की लाइफ पांच साल की है।

XPoSat सैटेलाइट के चार मुख्य उद्देश्य हैं:

  • अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन की स्टडी करना
  • पल्सर, ब्लैक होल्स, आकाशगंगा और अन्य खगोलीय पिंडों के रेडिएशन के स्रोतों की पहचान करना
  • ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विकास के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना
  • अंतरिक्ष यात्रियों और उपग्रहों के लिए रेडिएशन का खतरा कम करना
  • XPoSat सैटेलाइट में लगे टेलिस्कोप को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया है। यह टेलिस्कोप एक्स-रे के पोलराइजेशन को मापने में सक्षम है। पोलराइजेशन एक्स-रे के तरंगों के दिशा के बारे में जानकारी देता है। यह जानकारी रेडिएशन के स्रोतों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगी।
ISRO
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XPoSat सैटेलाइट को 650 किलोमीटर की ऊंचाई पर तैनात किया जाएगा। यह सैटेलाइट हर 90 मिनट में एक बार पृथ्वी का एक चक्कर लगाएगा।

XPoSat सैटेलाइट के लॉन्च से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हुई है। यह सैटेलाइट खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

XPoSat एक महत्वपूर्ण सैटेलाइट है जो अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन की स्टडी करेगा। यह सैटेलाइट ब्रह्मांड के 50 सबसे ज्यादा चमकने वाले स्रोतों की स्टडी करेगा। जैसे- पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बाइनरी, एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई, नॉन-थर्मल सुपरनोवा। सैटेलाइट को 650 km की ऊंचाई पर तैनात किया जाएगा।

XPoSat की स्टडी से वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन के बारे में बेहतर समझ मिलेगी। यह जानकारी अंतरिक्ष यात्रियों और उपग्रहों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगी। इसके अलावा, इस जानकारी का उपयोग खगोल विज्ञान और भौतिकी के क्षेत्र में भी किया जा सकता है।

XPoSat के लॉन्च के बाद ISRO के चेयरमैन श्री एस सोमनाथ ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि XPoSat अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की प्रगति को दर्शाता है।

ISRO
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XPoSat के लॉन्च से भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन के बारे में बेहतर समझ प्राप्त करने में मदद करेगा। यह जानकारी अंतरिक्ष यात्रियों और उपग्रहों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगी। इसके अलावा, इस जानकारी का उपयोग खगोल विज्ञान और भौतिकी के क्षेत्र में भी किया जा सकता है।

इसरो चीफ बोले- इस साल 12 मिशन लॉन्च करने का लक्ष्य

  1. गगनयान मिशन: यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए है। इस मिशन के तहत दो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में 3 दिन के लिए भेजा जाएगा।
  2. आदित्य-एल1 मिशन: यह मिशन सूर्य की सतह का अध्ययन करने के लिए है। इस मिशन के तहत एक अंतरिक्ष यान सूर्य के ध्रुवीय क्षेत्रों का अध्ययन करेगा।
  3. कक्षा-X मिशन: यह मिशन पृथ्वी की कक्षा में छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए है। इस मिशन के तहत 30 से अधिक छोटे उपग्रहों को लॉन्च किया जाएगा।
  4. चंद्रयान-3 मिशन: यह मिशन चांद की सतह पर एक रोवर और एक लैंडर भेजने के लिए है। इस मिशन के तहत चांद की सतह पर दो किलोमीटर की दूरी तय करने वाला रोवर भेजा जाएगा।

इसके अलावा, ISRO इस साल कई अन्य मिशन भी लॉन्च करेगा, जिनमें शामिल हैं:

  • INSAT-3DRS मिशन: यह मिशन INSAT-3D उपग्रह की सेवाओं को जारी रखने के लिए है।
  • GSAT-24 मिशन: यह मिशन दूरसंचार सेवाओं के लिए एक जीसैट उपग्रह है।
  • GSAT-25 मिशन: यह मिशन सैटेलाइट-आधारित नेटवर्किंग सेवाओं के लिए एक जीसैट उपग्रह है।
  • GSAT-26 मिशन: यह मिशन दूरसंचार और मौसम विज्ञान सेवाओं के लिए एक जीसैट उपग्रह है।
  • ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि इस साल ISRO के लिए एक महत्वपूर्ण साल है। इस साल कई महत्वपूर्ण मिशनों को लॉन्च किया जाएगा, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

ISRO के इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संगठन ने अपनी तैयारियों को शुरू कर दिया है। ISRO के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने इन मिशनों के लिए उपकरणों और प्रणालियों का विकास शुरू कर दिया है। ISRO के चेयरमैन ने कहा कि ISRO इन मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

ISRO के इस लक्ष्य से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को और मजबूती मिलेगी। इन मिशनों के सफल होने से भारत अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया के प्रमुख देशों में शामिल हो जाएगा।

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